रविवार, 7 जून 2020

संस्कार



पापा अपने बच्चे के साथ घूमने निकले.
निकले ही थे कि राह में नाली दिखी.
बच्चा तो बच्चा है, बोला-
‘‘देखो पापा, कित्ती बदबू! कित्ता कीचड़!’’
‘‘हप्प’-पापा ने डांटा, फिर समझाया-‘अपने देश की नाली के बारे में ऐसा थोड़ी बोलते हैं’’
‘‘हुम्म‘-बच्चे ने सोचा, फिर बोला-’तो फिर आज घूमने किसी दूसरे देश में ले चलोगे ?’’

-संजय ग्रोवर
07-06-2020

गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

झूठी लघुकथा


व्यवस्था ने निर्णय लिया कि ‘बेईमाना’ को, जहां है वहीं, सील कर दिया जाए।
लेकिन स्टाफ़ की कमी के कारण इसके क्रियान्वन में भारी व्यवधान हुआ।
हुआ यह कि जिसको भी ‘बेईमाना’ रोकने को भेजा जाता वह ख़ुद ही बेईमान निकलता और ईमानदारी की तरह ग़ायब हो जाता।
सुना है कि व्यवस्था अब विदेश से ईमानदार स्टाफ़ मंगाने पर विचार कर रही है।  


(लघुकथा झूठी इसलिए भी है कि ईमानदार व्यवस्था कभी कहीं देखी ही नहीं गई)

-संजय ग्रोवर

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