सोमवार, 14 जनवरी 2019

मंदिर-मस्ज़िद यहीं बना लो, मंज़र बड़ा रुहानी है

Photo by Sanjay Grover


चांद से चिट्ठी आई है के दुनिया आनी-जानी है 
मंदिर-मस्ज़िद यहीं बना लो, मंज़र बड़ा रुहानी है

गांधीजी का नाम रटो हो, पहने हो जैकेट और कोट
लंगोटी के नाम पे फिर क्यूं मरी तुम्हारी नानी है

आधी-पौनी दिखे सचाई,समझा ख़ुदको ज्ञानी है
अंधे कैसे होते होंगे गर ये दुनिया कानी है

सभी हुक़ूमत करना चाहें इल्मी-फ़िल्मी-राजा लोग
गांधी जैसी बात चले तो-‘बस इक रोटी खानी है’

ईद और करवाचौथ करो हो, देख-देखके चांद का मुह
आज ही क्यों ना चांद पे जाओ, ये दुनिया तो फ़ानी है


-संजय ग्रोवर
15-01-2019



ब्लॉग आर्काइव