लोगों को बताया गया कि कुछ न कुछ करते रहो, ख़ाली मत बैठो नही तो
पागल हो जाओगे.
शताब्दियां बीत गई पर लोगों की खोपड़ियों में से यह बात नहीं निकली.
अब वे भले पागलपन करते रहें पर ख़ाली कभी नहीं बैठते.
-संजय ग्रोवर
*पागलखाना* ==== बचकाना, अहमकाना, बेवकूफ़ाना, जाहिलाना, फ़लसफ़ाना, फ़लाना, ढिकाना....सब कुछ अनियोजित, अनियंत्रित, अनियमित, अघोषित....जब हमें ही कुछ नहीं पता तो आपको कैसे बताएं कि हम क्या करने वाले हैं....
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