रविवार, 13 नवंबर 2022

पाबंद का छंद

सुबह सैर को चल दिए, कविवर का आनंद

नियमित बेईमान थे नियमों के पाबंद


नियमों के पाबंद ने इक दिन काम निकाला

पैसे लेजा पैसे देकर काम कराला 


दूजा बोला कवि  हो या हो भ्रष्टाचारी

बोले इसपर भी लिक्खूंगा कविता प्यारी


-संजय ग्रोवर




गुरुवार, 21 जनवरी 2021

ख़ाली लोग व्यस्त लोग


लोगों को बताया गया कि कुछ न कुछ करते रहो, ख़ाली मत बैठो नही तो


पागल हो जाओगे.

शताब्दियां बीत गई पर लोगों की खोपड़ियों में से यह बात नहीं निकली. 


अब वे भले पागलपन करते रहें पर ख़ाली कभी नहीं बैठते.



-संजय ग्रोवर


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