रविवार, 17 फ़रवरी 2013

देखा!



रेखाकृति: संजय ग्रोवर
मेरिटोन्मत्त लंपटाचार्य ने अपने नयन-कटोरों में पड़े आत्मविश्वास को सिक्कों की तरह उछालते हुए एकलव को संबोधित किया, ‘‘देखा, हम शिक्षा न देकर भी दक्षिणा ले लेते हैं। उंगली ख़ुद करते हैं अंगूठा तुम्हारा काट लेते हैं। मुंह हम मारेंगे लंपट तुम कहलाओगे क्योंकि प्रसारण में तो चौतरफ़ा हम ही हम पसरे हैं..........’’

एकलव धीमे से मुस्कुराया, दूसरे हाथ से रिमोट उठाकर टी वी ऑफ़ कर दिया और फ़िर से अपनी पोस्ट लिखने में व्यस्त हो गया।

-संजय ग्रोवर
17-02-2013

ब्लॉग आर्काइव