गुरुवार, 13 जुलाई 2017

अफ़वाह की डगर पे...

पैरोडी


अफ़वाह की डगर पे चमचों चलो उछलके
इंजन कोई भी आए, डब्बे तुम्ही हो कल के

अपने हों या पराए, किसको नज़र है आए
ये ज़िंदगी है अभिनय, करना भी क्या है न्याय

रस्ते लगेंगे भारी, तुम हो ही इतने हलके
अफ़वाह की डगर पे.....

सबसे पटाके रक्खो, हर इक मिठाई चक्खो
कट्टर ख़्याल हों भी तो सेकुलर से ढक्को

हो जाओगे पॉपुलर, हर भीड़ देखो घुसके 
अफ़वाह की डगर पे.....

इंसानियत के सर पे हौले से पांव रखना
सादा के नाम पर भी कोई चालू दांव रखना

फिर देखो सब चलेंगे पीछे रपट-रपटके
अफ़वाह की डगर पे.....

हिंदू के घर में जाना, मुस्लिम के घर में जाना
है आदमी भी कोई, बिल्कुल ही भूल जाना

रख देना एक दिन यूं इंसान को मसलके
अफ़वाह की डगर पे.....



(शेष थोड़ी देर में)

-संजय ग्रोवर
14-07-2017

ब्लॉग आर्काइव