शनिवार, 5 मार्च 2016

रुटीन

लघुव्यंग्यकथा

महापुरुष वहां घास की तरह उगते थे।
गधे कभी भी उन्हें चर जाते थे।

-संजय ग्रोवर
05-03-2016

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

निश्चिंत रहें, सिर्फ़ टिप्पणी करने की वजह से आपको पागल नहीं माना जाएगा..

ब्लॉग आर्काइव