रविवार, 5 जून 2011

प्रेस-वार्त्ताओं में असुविधाजनक सवालों से बचने के लिए अकसर आज़माए जाने वाले कुछ नुस्ख़े:

मैं अनर्गल सवालों के जवाब नहीं देना चाहता।
वे लोग इस लायक नहीं कि मैं उनपर कोई टिप्पणी करुं।
आपने बहुत सवाल पूछ लिए ( हें हें करके हंसते हुए) अब ज़रा उन्हें भी मौक़ा दें
अभी सिर्फ़ इस मुद्दे पर बात कीजिए, भटकाईए मत..
मैंने ऐसा कब कहा....
जनता सब देख रही है, मेरा बोलना ज़रुरी नहीं है..
यह प्रशासन का काम है, पार्टी का नहीं..
इसपर सरकार निर्णय लेगी पार्टी नहीं...
मुझपर हमला राष्टृ पर हमला है, संस्कृति पर हमला है, नदियों पर हमला है......मुझे अपनी बात पूरी कर लेने दीजिए..चांद पर हमला है, सूरज पर हमला है, शांति पर हमला है, क्रांति पर हमला है, धरती माता पर हमला है, आसमान पर हमला है, हिंदू पर हमला है, मुसलमान पर हमला है, इंसान पर हमला है, जानवरों पर हमला है, ब्रह्मांड पर हमला है बिल्ली पर हमला है, चूहे पर हमला है, जो मुझे समर्थन दे रहे हैं, जो देने वाले हैं, जो दे सकते हैं, उन सब पर हमला है, सरकार को इसकी क़ीमत चुकानी होगी.....मैंने कभी ऐसा नहीं कहा...
देखिए, अब तो वे ऐसा कहेंगे ही.....
मैंने कभी ऐसा नहीं कहा...
नहीं, मेरी जानकारी में नहीं है। मैं कुछ नहीं कहूंगा।
मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
मैं राष्ट्र-भक्त हूं।
अरे छोड़िए, किस देशद्रोही का नाम ले दिया !
वे देश-भक्त हैं।
अरे वे तो भगवान को ही नहीं मानते, उनकी क्या बात करनी ?वे सब देश-प्रेमी थे।
यह देश की इतने/उतने करोड़ जनता का अपमान है।
फ़लांचार्य जी मेरे लिए शुरु से ही श्रद्धेय रहे हैं, उनपर कोई टिप्पणी न मैंने पहले की है न अब करुंगा।
मैं झूठा हूं तो क्या पूरा देश झूठा है जो पागलों की तरह मेरे पीछे लगा है ?देखिए, अब तो वे ऐसा कहेंगे ही.....
मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं पर यह आरोप लगाकर उन्होंने घटियापने की इंतिहा कर दी...
अभी मेरी बात ख़त्म नहीं हुई है...
मैंने अभी अपनी बात शुरु तो की ही नहीं आप पहले ही निष्कर्ष पर पहुंच गए....
दरअसल आपको यह नहीं, यह सवाल पूछना चाहिए था...
आप मुद्दे से फिर हट गए, मैं बहस को वापिस आम आदमी पर लाती/लाता हूं..
वे  कोई हमसे अलग थोड़े ही हैं, गठबंधन का हिस्सा हैं।
वे हमारे गठबंधन का हिस्सा हैं तो क्या, लोकतंत्र में सभी को अपने विचार रखने का हक़ है.....
आप भी...ही ही ही ही.....
छोड़िए भी...हें हें हें हें......
चलिए...हो हो हो हो....
हा हा हा हा हा हा हा .........

-संजय ग्रोवर

8 टिप्‍पणियां:

  1. 'मुझपर हमला राष्टृ पर हमला है, संस्कृति पर हमला है, नदियों पर हमला है......मुझे अपनी बात पूरी कर लेने दीजिए..चांद पर हमला है, सूरज पर हमला है, शांति पर हमला है, क्रांति पर हमला है, धरती माता पर हमला है, आसमान पर हमला है, हिंदू पर हमला है, मुसलमान पर हमला है, इंसान पर हमला है, जानवरों पर हमला है, ब्रह्मांड पर हमला है बिल्ली पर हमला है, चूहे पर हमला है, जो मुझे समर्थन दे रहे हैं, जो देने वाले हैं, जो दे सकते हैं, उन सब पर हमला है, सरकार को इसकी क़ीमत चुकानी होगी.....मैंने कभी ऐसा नहीं कहा...'
    रचना के इस अंश में राजनीति से जुड़े ही नहीं, धर्म और पत्रकारिता से जुड़े मगरमच्छों का भी दर्प बोलता है। उल्लेखनीय रचना।

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  2. सर ये तो दिग्गी राजे के लायक नोट है...
    केवल दिग्गी रजा ही क्यों हर ...लायक नालायक नेता ..और उनके चमचो के बड़े काम की चीज है ये तो.....
    इसे तो पोलिटिक्स के पाठ्यक्रम में शामिल क्या जाना चाहिए.........

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  3. संजय जी, एक नया फेशन और चला है वो तो भूल ही गए आप,
    "इसमें RSS का हाथ है "/
    "ये RSS द्वारा प्रायोजित है"/
    "ये RSS मानसिकता के लोग हैं"
    "ये RSS मानसिकता वाला सवाल है"
    (सीधे पत्रकार को ही) "आप RSS के एजेंट की तरह बात कैसे कर रहे हैं?" ;-)

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  4. आप भी...ही ही ही ही.....
    छोड़िए भी...हें हें हें हें......
    चलिए...हो हो हो हो....
    हा हा हा हा हा हा हा .....

    जवाब देंहटाएं
  5. congress ki najar me agar aap hindu hain to nonsecular hain or agar muslim hain to secular hain.
    ye saare hee chor hain to Baba Ramdev ya Anna Hazaare ki baat kaise poori hone denge.Inko logo ka dhyan batane ke liye "RSS" ka naam lena padta hi, chahe us bande ka RSS ya BJP se door-door tak koi rishta na ho.
    Ab samay aagaya hi kee inko ukhad faainka jai
    ek Deshbakt nagrik

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