ग़ज़ल
एक खिड़की से दूसरी खिड़की
ज़िंदगी रह गई निरी खिड़की
आसमां जिसपे, बंद दरवाज़ा
उसके जीवन में बस झिरी खिड़की
कुछ तो देखा भी करदो अनदेखा
बन न जाए ये झुरझुरी खिड़की
उसके ख़्वाबों पे क्या गिरी बारिश ?
उसके आंसू में क्यों तिरी खिड़की !
सर मेरा आसमां से टकराया
मेरे क़दमों में आ गिरी खिड़की
-संजय ग्रोवर
ताज़ा बारिश में ताज़ा ग़ज़ल
एक खिड़की से दूसरी खिड़की
ज़िंदगी रह गई निरी खिड़की
आसमां जिसपे, बंद दरवाज़ा
उसके जीवन में बस झिरी खिड़की
कुछ तो देखा भी करदो अनदेखा
बन न जाए ये झुरझुरी खिड़की
उसके ख़्वाबों पे क्या गिरी बारिश ?
उसके आंसू में क्यों तिरी खिड़की !
सर मेरा आसमां से टकराया
मेरे क़दमों में आ गिरी खिड़की
-संजय ग्रोवर
ताज़ा बारिश में ताज़ा ग़ज़ल
तेरे आने का रास्ता देखा.
जवाब देंहटाएंधुंध से फिर घिरी खिड़की.
कितनी सारी खिड़कीयां.....
जवाब देंहटाएंज़िंदगी रह गई निरी खिड़की..
निजात है कोई इससे...