जिनके खि़लाफ़ लड़ रहा था
उन्हीं के समर्थन से लड़ने लगा
लड़ते-लड़ते
नाचने लगा
थका तो रुकना चाहा
मगर डोरियां तो उन्हीं के हाथ में दे दी थीं
अब नाचते रहने के सिवा
कोई चारा न था
-संजय ग्रोवर
10-10-2013
*पागलखाना* ==== बचकाना, अहमकाना, बेवकूफ़ाना, जाहिलाना, फ़लसफ़ाना, फ़लाना, ढिकाना....सब कुछ अनियोजित, अनियंत्रित, अनियमित, अघोषित....जब हमें ही कुछ नहीं पता तो आपको कैसे बताएं कि हम क्या करने वाले हैं....
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