पिता पर लेख लिखना था।
लड़का बड़ा लायक था। दोस्तों, गुरुओं और लाइब्रेरियों से पिता पर क़िताबें जमा की, इंटरनेट पर पिता को खोजा और कुल मिलाकर एक अच्छा-ख़ासा लेख लिख डाला।
लेख छप गया।
‘पापा! देखो, मेरा लेख छपा है!’
पापा ने पूरा पढ़ा और चैन की सांस ली, ‘शुक्र है मुझपर कुछ नहीं लिखा.’
-संजय ग्रोवर
27-05-2016
लड़का बड़ा लायक था। दोस्तों, गुरुओं और लाइब्रेरियों से पिता पर क़िताबें जमा की, इंटरनेट पर पिता को खोजा और कुल मिलाकर एक अच्छा-ख़ासा लेख लिख डाला।
लेख छप गया।
‘पापा! देखो, मेरा लेख छपा है!’
पापा ने पूरा पढ़ा और चैन की सांस ली, ‘शुक्र है मुझपर कुछ नहीं लिखा.’
-संजय ग्रोवर
27-05-2016
Thanks for sharing such a wonderful post with us
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