रविवार, 5 फ़रवरी 2017

बेईमानी

लघुकथा

वह हमारे घरों, दुकानों, दिलों और दिमाग़ों में छुपी बैठी थी और हम उसे जंतर-मंतर और रामलीला ग्राउंड में ढूंढ रहे थे।


-संजय ग्रोवर
05-02-2017

1 टिप्पणी:

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