आज-कल कुछ कटा-फटा रहने लगा हूं वरना ज़िंदगी शुभकामनाओं से लदी-फदी रहती थी। बोझ से कई बार इतना झुक जाता था कि लोग समझते विनम्रता के कारण झुक गया हूं। वातावरण शुभकामनाओं से लदर-फदर था। अलमारी खोलते ही कच्छे-बनियानों की तरह शुभकामनाएं आ-आकर गिरतीं। फ्रिज में शुभकामनाएं इतनी हो जातीं कि सब्ज़ी रखने की जगह न बचतीं। फ्रीजर में शुभकामनाएं ख़ून की तरह जम जातीं।
इधर देखता हूं कि लोगों में और कलंडरों में फ़र्क़ करना मुश्किल होता जा रहा है। चलते-फिरते, आते-जाते, गिरते-पड़ते लोग शुभकामनाएं उछाल जाते हैं। जो लोग शादियों में देते थे भले लिव-इन से चिढ़े रहते हों पर शुभकामनाएं दिए बिना यहां भी नहीं छोड़ते। वैलेंटाइन डे पर शुभकामनाएं पत्थर की तरह उठा-उठाकर मारते हैं।
कई दफ़ा लगता है सरकारी दफ्तर तो खोले ही इसी लिए गए हैं। सुबह अटेंडेंस मारने के बाद अगला काम यही होता है, शुभकामनाएं बांटों। फोन किसलिए लगवाएं हैं दफ्तर में ! लगता है शुभकामनाएं न दी तो सरकार डिसमिस कर देगी, एक ही तो काम दिया था वह भी ढंग से नहीं किया।
एक दिन मैं बैंक मैनेजर के पास पहुंच गया। मैंने कहा एफ. डी. कर दो। बोला कितने लाख हैं ? मैंने बताया करोड़ों शुभकामनाएं
इकट्ठा हो गयी हैं। देखने लगा ऊपर से नीचे तक। मैंने सोचा अभी कहेगा, ‘पागल तो नहीं हो !’ वह बोला, ‘हमसे अपने स्टाफ़ की नहीं संभलती, तुम्हारी का क्या करेंगे ? कोई स्कीम आयी तो बताऊंगा।’
घर आया तो कबाड़ी बाहर ही मिल गया, बोला, ‘अख़बार की रद्दी या लोहा हो तो बात करना, टाइम नहीं है अपने पास।’
आगे लिखने का मूड नहीं है। आप शुभकामनाएं दीजिए कि मूड बन जाए।
-संजय ग्रोवर
*पागलखाना* ==== बचकाना, अहमकाना, बेवकूफ़ाना, जाहिलाना, फ़लसफ़ाना, फ़लाना, ढिकाना....सब कुछ अनियोजित, अनियंत्रित, अनियमित, अघोषित....जब हमें ही कुछ नहीं पता तो आपको कैसे बताएं कि हम क्या करने वाले हैं....
क्या बात है गुरूजी! छा गए....
जवाब देंहटाएंएक झोला शुभकामनाएं मेरी तरफ से भी स्वीकार कीजिये...
यही एक चीज तो बची है मुफ्त बाँटने के लिए...
एक जनवरी की शाम नुसरत फ़तेह अली खान के नाम
कल रात को कुछ शुभकामनाऎं बच गई थी, ओर कुछ मित्रो ने मिलती जुलती भेज दी कापी कर के, सोच ही रहा था किस के पल्ले बांधू इन शुभकमनाऒ को, तो आप पर नजर पड गई, अब मना नही करना जहां इतनी झेल रहे हो सॊ पचास ओर सही, निकालो अपनी झोली ओर यह समभालो जी, शुभकामनाऎ पुरे साल भर कि(पिछले साल की )राम राम
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
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जहाँ करोड़ों का बोझ लादे घूम रहे हैं... तो एक अदद मेरी भी ले ही लीजिये...
अरे वही...शुभकामना!
...
मेरे भी बहुत अपच हो गया है कहें तो आपके फिक्स डिपोजिट में भेज दूं? अच्छा व्यंग्य है, मन को राहत मिली।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंयूँ तो हमारे पास कम है शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंफिर भी आप ले ही लीजिये ...!
नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें ...!
खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
अरे भाई, शुभकामना का मतलब होता है 'एक मैं ही हूँ तुम्हारा शुभचिन्तक, जिसके चाहने से तुम्हारा जीवन सार्थक हो जायेगा (वरना तुम किस खेत की मूली हो, तुम्हारे बस का क्या है, वगैरह, वगैरह)।
जवाब देंहटाएंलोग दे रहे हैं तो ले लो भाई, कया एतराज करना।
कम मिली हों तो एक मेरी तरफ से भी ले लो।
Buzurgon ne kaha hai ghar se koi khali hath n jaye,BHAGWAN OUR APNA APMAN HOTA HAI.Lihaza ek adad?
जवाब देंहटाएंpagal baba ki jai ho
जवाब देंहटाएंहमारे मन की कह दी आपने....
जवाब देंहटाएंBahut Badhiya, Siraf Subhkamnaye.
जवाब देंहटाएंak subhkamna meri bhi le lo is gadhe ki battisi ke har dant se nikalti hai ek subh kamna kaho to battisi nipor doo,haaa haa haaa,
जवाब देंहटाएंgadha-battisi
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें@शुभकामनायें.COM
जवाब देंहटाएंकुछ चीज़ें ही फ्री रह गई हैं दुनिया में जैसे बिना बात गाली, शादी के बाद साली, कार्यक्रम में ताली और सरकारी नौकरी में माली, शुभकामना भी फ्री है पर मन में क्या है क्या पता, मुंह में राम बगल में छुरी.
जवाब देंहटाएंसंजय अच्छा व्यंग्य है, रुचिकर है
रेखा राजवंशी
ऑस्ट्रेलिया
मंत्री और राजनेताओं ने नया तरीका निकाला है, वे उन्हें मिली शुभकामनाओं को चौराहे पर होर्डिंग पर लगवा देते हैं।
जवाब देंहटाएंmann to nahi kar raha ki apne shubkamnaon ka tokra aapko dun...lekin jab aap kahte ho to pakro ...........:)
जवाब देंहटाएंbahut khub!!
mera blog jindagi kee rahen gumm ho gayee, koi please suggest karen kya karun!
....अरे निश्चिन्त कैसे न रहूँ जी, जब टिप्पणी करने की वजह से पागल माना ही नहीं जायेगा तो टिप्पणी करने से फायदा ही क्या है? में तो आया था आपके ब्लॉग पे की कुछ टिप्पणी करूं औए शामिल हो जाऊं अपनों के बीच ,लेकिन सब बेकार, आप लोग उतने पागल लगते नहीं हो जितने की हो ,बहरहाल एक नाकाम सी उम्मीद के सहारे कुछ दर्ज कर रहा हूँ,की शायद किसी पागल को इस पगलापे पे कोई पागल्पंती की सुगंध आ जाये ...!
जवाब देंहटाएंआप समझे नहीं राजेश जी, हमने कहा कि सिर्फ टिप्पणी करने की वजह से आपको पागल नहीं मान लिया जाएगा, कुछ और दमदार बेहूदगियां भी कर दिखानी होंगी, करते रहनी होंगीं। हम जितने पागल हैं उतने लगते नहीं हैं, यही तो हमारी विशेषता है। आप उम्मीद बनाए रखिये क्योंकि इसीपर तो पागलों की दुनिया टिकी है।
जवाब देंहटाएंयो लिक्खो
जवाब देंहटाएंघनी सुब्कामना कूकर नी पसंद से
तने तो आसिरबाद देवे दादी
हम तो बहुत देरी से पहुँचे।
जवाब देंहटाएं00000
http://yuvaam.blogspot.com/2013_01_01_archive.html?m=0
देर हो गई जी।
जवाब देंहटाएं2013
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http://yuvaam.blogspot.com/2013_01_01_archive.html?m=0