कि बख़्शा गया जिनको शौक़े-बधाई
है घुटनों में झन्कार सरमाया इनका
बेमतलब अहंकार इनकी कमाई
है घुटनों में झन्कार सरमाया इनका
बेमतलब अहंकार इनकी कमाई
न आराम शब को न राहत सवेरे
दिखे मस्लहत बस लगाते हैं फेरे
लगे जिस घड़ी इनको मन सूना-सूना
लगा दें ये इक-दूसरे को भी चूना
ये हर एक को वायदा देने वाले
ये हर एक से फ़ायदा लेनेवाले
दिखे मस्लहत बस लगाते हैं फेरे
लगे जिस घड़ी इनको मन सूना-सूना
लगा दें ये इक-दूसरे को भी चूना
ये हर एक को वायदा देने वाले
ये हर एक से फ़ायदा लेनेवाले
लचीली कमरवाले गर सर उठाएं
तो डर है न इनकी कमर टूट जाए
अगर ये किसी दिन अंगीठी पे उबलें
तो शायद जुदा शक़्ल ही लेके निकलें
तो डर है न इनकी कमर टूट जाए
अगर ये किसी दिन अंगीठी पे उबलें
तो शायद जुदा शक़्ल ही लेके निकलें
कोई इनको इंसान के गुर सिखा दे
कोई इनकी पीछे की डंडी गिरा दे
कोई इनकी पीछे की डंडी गिरा दे
-संजय ग्रोवर
05-02-2014
(साहब फ़ैज़ साहब से दुष्प्रेरित)
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