काफ़ी टाइम से वे करने के मूड में थे-
‘यार, लोग नहीं आते....’
‘लोगों का आपने करना क्या है? जिनके खि़लाफ़ होनी वे भी आपके लोग हैं। जिन्होंने करनी है, वे भी आपके लोग हैं, मिल-जुलकर कर डालो....समस्या क्या है?’
‘...............’
-संजय ग्रोवर
*पागलखाना* ==== बचकाना, अहमकाना, बेवकूफ़ाना, जाहिलाना, फ़लसफ़ाना, फ़लाना, ढिकाना....सब कुछ अनियोजित, अनियंत्रित, अनियमित, अघोषित....जब हमें ही कुछ नहीं पता तो आपको कैसे बताएं कि हम क्या करने वाले हैं....
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