लघुव्यंग्य
जो भी मुझपर दांव लगाएगा, शर्त्तिया हारेगा।
क्योंकि मैं कोई घोड़ा नहीं हूं, आदमी हूं।
पूरी तरह आज़ाद एक आदमी।
-संजय ग्रोवर
03-09-2015
जो भी मुझपर दांव लगाएगा, शर्त्तिया हारेगा।
क्योंकि मैं कोई घोड़ा नहीं हूं, आदमी हूं।
पूरी तरह आज़ाद एक आदमी।
-संजय ग्रोवर
03-09-2015
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