रविवार, 13 दिसंबर 2015

दर्द बांटने वाले

व्यंग्य

शायद चेख़व की कहानी है-

एक तांगेवाला है जो बहुत दुखी है और अपना दुख किसीसे बांटना चाहता है। पूरे दिन वह इसकी कोशिश करता है मगर किसीके पास उसके लिए वक़्त नहीं है। अंत में वह अपने घोड़े से अपना दर्द बांटता है और रो पड़ता है।

लेकिन अंत में चेख़व शायद यह बताना भूल गए हैं कि जो आदमी पूरे दिन गधों से दर्द बांटने की कोशिश करता रहा, अंत में उसने एक घोड़े से दर्द बांट लिया तो कौन-सी आफ़त आ गई!?

दोनों ही तो जानवर हैं। 

-संजय ग्रोवर
13-12-2015

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