By Sanjay Grover |
पहले सब माहौल बनाया जाता है
फिर दूल्हा, घोड़े को दिखाया जाता है
झूठ को जब भी सर पे चढ़ाया जाता है
सच को उतनी बार दबाया जाता है
दो लोगों में इक सच्चा इक झूठा है
बार-बार यह भ्रम फैलाया जाता है
आपस में यूं मिलने-जुलने वालों में
बारी-बारी भोग लगाया जाता है
जिन्हें ज़बरदस्ती ही अच्छी लगती है
उनको घर पे जाके मनाया जाता है
गिरे हुए भी कई बार गिर जाते हैं
कुछ लोगों को यूं भी उठाया जाता है
देते हैं जो सबको भिक्षा की शिक्षा
उनसे ही हर मंच सजाया जाता है
वर्तमान में अगर नहीं कुछ करना हो
मिल-जुलकर इतिहास बताया जाता है
बननेवाले बार-बार बन जाते हैं
फिर भी बारम्बार बनाया जाता है
-संजय ग्रोवर
09-05-2018
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