ग़ज़ल
सच जब अपनेआप से बातें करता है
झूठा जहां कहीं भी हो वो डरता है
दीवारो में कान तो रक्खे दासों के
मालिक़ क्यों सच सुनके तिल-तिल मरता है
झूठे को सच बात सताती है दिन-रैन
यूं वो हर इक बात का करता-धरता है
सच तो अपने दम पर भी जम जाता है
झूठा हरदम भीड़ इकट्ठा करता है
झूठ के पास मुखौटा है किरदार नहीं
सच की ख़ाली जगह वही तो भरता है
-संजय ग्रोवर
21-06-2018
creation : Sanjay Grover |
सच जब अपनेआप से बातें करता है
झूठा जहां कहीं भी हो वो डरता है
दीवारो में कान तो रक्खे दासों के
मालिक़ क्यों सच सुनके तिल-तिल मरता है
झूठे को सच बात सताती है दिन-रैन
यूं वो हर इक बात का करता-धरता है
सच तो अपने दम पर भी जम जाता है
झूठा हरदम भीड़ इकट्ठा करता है
झूठ के पास मुखौटा है किरदार नहीं
सच की ख़ाली जगह वही तो भरता है
-संजय ग्रोवर
21-06-2018
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