मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

सच में या अफ़साने में / मंटो पागलखाने में


ग़ज़ल 
created by Sanjay Grover











सच में या अफ़साने में
मंटो पागलखाने में

मंटो, तेरे और मेरे
है क्या फ़र्क़ ज़माने में

सच लोगों को भाता हैं
सिर्फ़ रहे जब गाने में

झूठ को मैंने खोया है
अपने सच को पाने में

हर पगले का नाम लिखा
सच के दाने-दाने में

-संजय ग्रोवर
02-10-2018

1 टिप्पणी:

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